हम लोगों के यहाँ यानि भारत में पहले जो भोजन बनाया जाता था वो आयुर्वेद की दृष्टि से स्वास्थ के लिए हितकर था और शरीर के लिए उत्तम था किन्तु जब से हम लोगों के भोजन पर पाश्चात्य देशों में बनाये जाने वाले भोजन का असर आने लगा है हम लोग भोजन की गुण धर्मिता के बारे में भूलने लगे है कुछ पदार्थ एक दुसरे के साथ नहीं खाए जा सकते जैसे दूध और मुली ,प्याज और दूध इस के बारे में हम सब जानते है किन्तु आयुर्वेद में किसी भी खटाई को एक साथ खाना भी मना है इस बारे में लोगों की जानकारी कम है पहले नानी या दादी इस बारे में कहा करती थी पर अब लगभग ये ज्ञान विलुप्त हो चुका है,कुछ ही लोग इस बारे में जानते है !
निम्बू ,टमाटर ,इमली और आम और दही ये मुख्य खट्टे पदार्थ है जिन्हें हम अपने भोजन को खटास देने के लिए उपयोग में लाते है इन में से किसी भी पदार्थ को एक साथ उपयोग में लेन पर ये धीमे जहर का काम करते है और हमारे शरीर में कई रोग भी उत्पन्न करते है इन का असर इतना धीमा होता है के हम जान भी नहीं पाते के खाने विषमता के कारण हम रोग से ग्रसित हुए है हर कुशल गृहणी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए और इन में से किसी भी खटाई का एक साथ उपयोग नहीं करना चाहिए और आने वाली पीढ़ी को भी ये जानकारी देनी चाहिए ,आजकल बाहर बनाये जाने वाले खानों में इस का ध्यान नहीं रखा जाता यहाँ तक के कई प्रसिद्ध कुकरी शो /किताबों में भी 2 या 3 तरह की खटाई का एक साथ उपयोग दर्शाया जाता है ये बिलकुल गलत है और हानिकारक है इस पर अमल करने से बचे और अपने परिवार के स्वास्थ्य की रक्षा करें
बहुत अच्छा लेख,।
जवाब देंहटाएंbadhiya jankari..
जवाब देंहटाएंAchchi Jnakari
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने, हमारे स्वास्थ्य के सूत्र हमारी पुराने रसोईघरों में छिपे हैं।
जवाब देंहटाएंजानकारी के लिए शुक्रिया, ऐसे ही लेख और पढ़ना चाहेंगे..ये जानकारी सबके लिए हितकर है। मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया...आपका ब्लॉग ऊर्जा भी बहुत अच्छा लगा..मेरा प्रिय विषय है पर मैं वहां comment नहीं कर सकी। शुभकामनाओं आपको। यहां भी आएं http://theparulsworld.blogspot.in , प्रतीक्षा में...
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